Thursday, April 23, 2015

History of Mazar - shrine and Peer

shrine and Peer

मजार-दरगाह और पीरो का इतिहास
1. हजरत नाथडौली जो तुर्क के शहजादे थे, उन्होंने मदुरै और तिरूचिरापल्ली में धन के बल पर हजारो हिन्दू मुसलमान बनाए और आज इनकी मजार पर हजारो हिन्दू औरते भी जाती है? क्यों?
2. सयद इब्राहीम शहीद ने हुक्मरान के जोर पर हजारो हिन्दू औरतो को मुसलमानी बनाया और आज इनकी दरगाह पर हजारांे हिन्दू जाते हैं क्यों?
3. खलीफा बाबा फखरूद्दीन ने पेनूकोंडा के राजा को मुसलमान बनाया और बाद में सारी प्रजा, आज इनकी मजार पर हजारो हिन्दू भी जाते हैं क्यों?
4. मुइनुद्दीन चिश्ती ने दिल्ली से अजमेर जाते हुए 700 हिन्दु औरतो को मुसलमानी बनवाया तलवार के बल पर और हजारो हिन्दू इन्हें चादर चढाते हैं क्यों?


5. फखरूद्दीन गजशकर ने पंजाब में गयारह अछूत जातियों को मुसलमान बनाया और आज इनकी मजार पर हजारो हिन्दू और सिख भी जाते हैं क्यों?
6. हजरत निजामुद्दीन के खलीफा शेख अखी सिराजुद्दीन और उसके भी खलीफा शेख अलाउल हक ने आधा बंगाल मुसलमान बनाया और इनकी दरगाहों पर हिन्दू ही अधिक जाते हैं क्यों?
7. और सुनो हजरत निजामुद्दीन को शास्त्रार्थ में समेनाथ नामक संत ने हराया। समेनाथ ने एक किसान के बालक को इतना ज्ञान दिया कि वह कालांतर में राजा हम्मीर बना, सबसे शक्तिशाली राजा और उसने तुगलक को पराजित किया और तुगलक दिल्ली छोडकर भाग गए थे। परंतु हिन्दू समेराम की समाधि पर नहीं जाते, जो दिल्ली में ही है, लेकिन जाते हैं हजरत निजामुद्दीन की समाधि पर क्यों?
यकीन नहीं आता तो ताजा प्रमाण सुनो। मुसलमानो ने एक किताब छापी थी, हिन्दुओ के काले कलूटे देवता, उसके खिलाफ एक आर्य समाजी ने किताब छापी, फिर दोबारा मुसलमानो ने आर्यसमाज के खिलाफ छापी और फिर आर्य समाज की ओर से छपी रंगीला रसूल। इस पर राजपाल नामक प्रकाशक की हत्या हुई और हत्यारे इल्मूदीन को फांसी, लेकिन आज इल्मूदीन गाजी हैं और पाकिस्तान के
सबसे बडे पीर और हर साल उर्स लगता है उनकी मजार पर। नेट पर पढ लें सारी कहानी और इल्मूदीन के उर्स में आज भी अल्पसंख्यक हिन्दू जाना नहीं भूलते पाकिस्तान में क्यों?
किसी युग में भारत में एक पद होता था क्षेत्रपाल, जो किसानों से कृषि कर वसूलता था और राजा को देता था। बाद में मुस्लिम युग आया तो भूमि कर यानी लगान वसूलनेवाला क्षेत्रपाल से हो गया भूमिया और भूमिया के उपर भी एक अफसर होता था, जिसकी सुरक्षा नौ गज के घेरे में चलती थी, जैसे आजकल जेड श्रेणी की सुरक्षा होती है, ठीक वैसे ही। तवारीख ए निजामशाही में साफ-साफ लिखा है कि जब भूमिया किसी से कर वसूलने में असमर्थ होता तो वह किसान के घर में जवान बेटी को उठाकर ले जाता और उसे पहले अपने अफसर को पेश करता। सबके सामने जेड श्रेणी की सुरक्षा में उसका बलात्कार किया जाता, और जानते हो जेड श्रेणी की सुरक्षा में कोई कदम नहीं रखता था, जैसे आज नहीं रख सकते, इसलिए कुकर्म के वक्त उसके उपर एक चादर डाल दी जाती थी, फिर बाद में भूमिया उसे अपना शिकार बनाता था। जमाना बदल गया और आज भूमिया और नौ गजा पीर को सबसे अधिक हिन्दू औरते पूजती हैं और उन पर आज भी चादर चढ़ाती हैं, इससे अच्छा तो वह चादर किसी गरीब को दे दो। बहनो आज देश आजाद है, गुलामी की पीड़ा और दर्द
आज क्यों सहती हो और आज क्यों बलात्कारी पर चादर डालती हो। पीरो की कब्रो पर चादर चढानी बंद करो और याद करो कि ये कौन थे? तुम्हारे पूर्वजों के साथ अत्याचार करनेवाले और तुम इन्हें पूजते हो? क्यों...क्यों...क्यों...

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